महिषासुर-मर्दिनी-वन्दना / श्री दुर्गा चरितायण / कणीक
श्री दुर्गा सप्तशती के दोसरा आरो तेसरा अध्याय उद्यृत देवी अवतार आरो सैन्य समेत महिषासुर बद्य कथा पर आधारित
महिषासुर-मर्दिनी-वन्दना
हे माई हे! सभ्भे सतैलका देवोॅ तिरदेवोॅ तेजबा लैकेॅ, लेल्हेॅ तों देवी अवतार है!
हे माई हे! सिंहोॅ सवारी लैकेॅ असुरा संहारै लेली, कैल्हेॅ हिमालय पेॅ वास हे!!
शिवजी नैं शूलबा देल्खौं, बरम्हां कमंडलु हे!
देलख्हौं सुदर्शन विष्णु देवें हे!
वरूणें नें शंखबा देल्खौं, आगिनी नें तेजबा हे,
बज्जड़ उ घण्टा इन्दरदेवें हे!
धनुखा-तुनीरबा लेनें, पवनोॅ पहुँचिये गेल्हौं,
काल्हौं नें ढ़ाल-तरबार हे!
जम्में ने दण्डबा देल्खौं, सुरजें ने ज्योतिया हे,
धीरें समुन्दें गहना-भार हे!
हे माई हे! ठो देवता तेजबा उपहार लै लै, कैल्होॅ परबत पेॅ अट्टहास हे!
हे माई हे! सिंहोॅ सवारी लैकेॅ असुरा संहारै लेली, कैल्हेॅ हिमालय पेॅ वास हे!!
नदबा भयंकर सुनथैं, धरती ठो काँपी गेलै
हिललै पहरिया चहूँ ओर हे!
सरड़ो में गर्जन छैलै, असुरा के कनमां गेलै
सागरोॅ में उठलै हिलकोर हे!
महिखासुर सनकी गेलै, मईया नगीच अैलै
असुरा के सेनापती, साथैं बिडाला रथीं
ढेरें मिली कैलकै लड़ाय हे!
हे माई हे! असुरा के सेनमां भारी, देल्हौं तों पलख्है मारी! कैल्हौं तो सेना के विनाश हे!
हे माई हे! सिंहोॅ सवारी लैकेॅ असुरा संहारै लेली, कैल्हेॅ हिमालय पेॅ वास हे!!
चिक्षुर बिडाला मरथैं, सौंसे सेनमा संहरथै
महिखासुर भेलै गोस्सां लाल हे!
भैसा के रूपबा धरी अनपट्ट वें गोस्सां करी
दौड़लै हौ बनी जेनां काल हे!
कखनूं बनराज बनी केॅ कखनूं गजराज बनी केॅ
कखनू फिन भैं सभैॅ धरै रूप हे!
परबत-बिरिछिया फेंकै, मईया के रस्ता छेकै
कैलकै लड़ैइया वें अनूप हे!
हे माई हे! मदिरा के पमां करल्हौ, महिखा के जनमां हरल्हौ
कैल्हौ सब असुरा केरोॅ नाश हे!
हे माई हे! देवता के आस पुरैल्हौॅ, धमोॅ के दिया जरैल्हौॅ
वन्दन करै छौ ‘कणीक’ दास हे! ॥हे माय हे! सहॉ सवारी...॥