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महुआ के पतई हई / हरिवंश प्रभात
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महुआ के पतई हई, पतई के दोना हई,
भर दोनों महुआ के खाके फिर सोना हई।
आसमान ओढ़ना आउ धरती बिछौना हई,
भर दोनों महुआ के....
चार मास बरसेला कारी बदरिया
आठ मास बरसेला हमरी झोपड़िया
सावन आउ भादो हई, किचड़ आउ कादो हई
जिनगी भर बरसेला अंखिया के कोना हई
भर दोनों महुआ के....
का खरची खाऊँ का लइका खिलाऊँ
पनियो से पातर का हालत बताऊँ
देहिया त होगइले सुखल लकड़िया
दुधवा बिन छछनत बा सपना सलोना हई।
भर दोनों महुआ के....
ना लउके केनहू बा सगरो अन्हरिया,
ना सुरूज दूर कइले विपदा के रतिया,
भुखवा आउ दुखवा हई ससुरा नइहरवा
फाटल अंचरवा के सब दिन भिगोना हई।
भर दोनों महुआ के....