माँगे घाट पे जीवन झेले
काहें नाव समन्दर खेवे
हमें दे दे हमार आजा
एकर रोटी रहा सादा
हमरे पे एकरे तो खालि किरपा है
हमार गोड़ जाने मले धरति
हमार हाथ बोवे धरति में भरति
हमें गम है बकि करी का
इ घाट सड़े है औ मन बहे लागल।
माँगे घाट पे जीवन झेले
काहें नाव समन्दर खेवे
हमें दे दे हमार आजा
एकर रोटी रहा सादा
हमरे पे एकरे तो खालि किरपा है
हमार गोड़ जाने मले धरति
हमार हाथ बोवे धरति में भरति
हमें गम है बकि करी का
इ घाट सड़े है औ मन बहे लागल।