Last modified on 28 जुलाई 2015, at 19:35

माँग लाड़ो टीका सोभे, मोतिये की बहार / मगही

मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

माँग लाड़ो टीका सोभे, मोतिये की बहार।
लाड़ो हवले<ref>धीरे से</ref> चलि आओ।
ए बोलवे दिलवर जान, लाड़ो हवले चलि आओ॥1॥
नाक लाड़ो बेसर सोभे, चुनिये<ref>माणिक या लाल का छोटा टुकड़ा, छोटा नग</ref> की बहार।
हवले चलि आओ, देखे दिलबर जान॥2॥
कान लाड़ो बाली सोभे, झुमके की बहार।
हवले चलि आओ लाड़ो, देखे आशिक जार॥3॥
गले लाड़ो माला सोभे, सिकड़ी की बहार।
हवले चलि आओ लाड़ो, देखे दिलबर जान॥4॥
साँवली सलोनी लाड़ो, सर के लम्बे बाल।
हवले चलि आओ लाड़ो, देखें दिलवर जान॥5॥
जान लाड़ो सूहा सोभे, छापे की बहार।
हवले चलि आओ लाड़ो, देखे आशिक जार॥6॥

शब्दार्थ
<references/>