शिविका चढ़ माँ आयीं मेरे द्वार ।
मोहक-मानस मंजुल-मुख शृंगार ।
धूप दीप से सजी आरती थाल,
अर्चन करता मौन हृदय उद्गार ।
संकट के बादल घहराये मात ,
कृपा करो आकर बरसाओ प्यार ।
गा न सकूँ माँ रुधे हुए ये कंठ,
अरी ! मोहिनी भक्त न जायें हार ।
प्रेम नयन ये बरस-बरस पर आज,
माँ तेरी करुणा का चाहूँ सार ।