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माँ आयी मेरे द्वार / प्रेमलता त्रिपाठी

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शिविका चढ़ माँ आयीं मेरे द्वार ।
मोहक-मानस मंजुल-मुख शृंगार ।

धूप दीप से सजी आरती थाल,
अर्चन करता मौन हृदय उद्गार ।

संकट के बादल घहराये मात ,
कृपा करो आकर बरसाओ प्यार ।

गा न सकूँ माँ रुधे हुए ये कंठ,
अरी ! मोहिनी भक्त न जायें हार ।

प्रेम नयन ये बरस-बरस पर आज,
माँ तेरी करुणा का चाहूँ सार ।