मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
माँ के द्वार पर अड़हुल फुल गछिया
माँ हे फड़-फूल लुबधल डारि
दछिन पछिम सँओ सूगा एक आयल
माँ हे बैसि गेल अड़हुल फूल गाछ
फड़ो ने खाय सुगा फूलो ने खाय
माँ हे पाते पाते खेलय पतझार
कहाँ गेल किए भेल डीहबार ठाकुर
माँ हे अपन सूगा लीअ ने समुझाय
भनहि विद्यापति सुनू जगदम्बा हे
माँ हे सेवक पर रहबइ सहाय