माँ के लिए शोकगीत / बैर्तोल्त ब्रेष्त / वीणा भाटिया
अब मुझे
उसका चेहरा याद नहीं रह गया
क्योंकि यह उसके पहले की बात है
जब उसके दर्द की शुरुआत हुई
निढाल हाथों से / जो सिर्फ़ हाड़ था
उसने काले बाल
अपने माथे से हटाए
मैं देख सकता हूँ
उसके हाथों को ।
उसी तरह,
जैसे वह करती है ।
बीस सर्दियों ने
उसे आशंकित किए रखा
उसकी वेदनाओं का ओर-छोर नहीं था
मौत जिसके जीवन से
कतई शर्मिन्दा नहीं थी
और तब
वो मर गई
और तब उन्हें लगा
उसका जिस्म
एक बच्चा था ।
वह वन में पली-पुसी
उन चेहरों के बीच मरी
जिन्होंने उसे हमेशा
मरते देखा था ।
और वे बेहिस थे
कौन क्षमा करता था उसे
उसके दुख लिए
फिर भी वह
घूमती फिरी
उन्हीं चेहरों के इर्द-गिर्द
जब तक मर ही न गई ।
कई हैं
जो हमें छोड़ जाते हैं
बिना हमारा इन्तजार किए
हम कह चुके हैं
जो कुछ हमें कहना था ।
और ज़्यादा कुछ नहीं
हमारे और उनके बीच
हमारे चेहरे पत्थर हो जाते हैं
हमेशा बिछुड़ते समय
लेकिन हम कहते नहीं
बहुत ज़रूरी बातें
और तहों में रखते हैं
आह !
हम क्यों नहीं करते
मुद्दे की बात कि
ऐसा करना होगा
लिजलिजे हो जाते हैं
क्योंकि हम नहीं करते
सरल शब्द वे थे
हमारे दाँतों को ढकेलते
वो बाहर जा गिरे
हम जैसे ही हंसे
और अब
हमारी ही सांसों में फंसते हैं।
सो अब माँ
मर चुकी थी
कल संध्या के समय ।
कोई आदमी उसे
दोबारा नहीं ला सकता
अपनी कोशिशें करके ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : वीणा भाटिया