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माँ को तैरना आता है / अनुराधा ओस
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माँ को तैरना आता है
जबकि मुझे नही
वो पार कर लेतीं हैं बड़ी से बड़ी नदी चुनौतियों की
जबकि मैं बीच भंवर में फंस जाती हूँ
माँ फंदों पर फंदे डाल का
तैयार कर लेती है पोशाक
और मैं
उलझ जाती हूँ
जिंदगी के फंदों में
वो मसाले का अनुपात जानती हैं
जीवन में
और मैं अक्सर भूल जाती हूँ
अनुपात जिंदगी के
कभी कभी सोचती हूँ
क्या मैं माँ की विलोम हूँ।