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माँ मैं जाऊँ बता कहाँ ? / मोहम्मद साजिद ख़ान
Kavita Kosh से
सड़कों पर है धुआँ-धुआँ
माँ, मैं जाऊँ बता कहाँ ?
कलपुर्ज़ों का शोर बड़ा ।
वाहन चलते धूल उड़ा ।।
बिन पानी वाले नल हैं,
मीठे जल का नहीं कुआँ !
अमराई की बात नहीं ।
हरियाली का साथ नहीं ।।
यहाँ ईंट के जंगल हैं,
बरगद बाबा नहीं यहाँ !
दौड़-भाग, आपा-धापी ।
यहाँ नहीं अपना साथी ।।
सभी सुनें दिल की बातें,
जाऊँ ऐसे लोग जहाँ !
बस, फ़ैशन के हैं क़िस्से ।
यही बचा अपने हिस्से ।।
महंगाई बेहाल किए,
बेचैनी है यहाँ-वहाँ !