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माँ शारदे वंदना / रंजना सिंह ‘अंगवाणी बीहट’
Kavita Kosh से
करती सदा, ये कामना,
मन में बसे, ये भावना।
करती रहूँ, माँ याचना।
तेरी करूँ , मैं साधना।
करबद्ध माँ, है प्रार्थना,
जन-मन बसे,सद् भावना।
दुख का नहीं, हो सामना,
माँ हाथ को, तुम थामना।
पूजा करूँ ,कर अर्चना,
मन भक्ति ले,उर भावना।
कर दूर दुख, दुख हारिणी,
आ बस ह्रदय,जग तारिणी।
माँ तू जगत, वर दायिनी,
माँ वत्सला,मृदु भाषिणी।
तू धर्म का, व्रत पालिनी,
तू ही सकल,तम हारिणी।
माँ शारदे ,सुर साधिका,
मम् उर बसो,लय धारिका।
कर दूर तम, माँ सारथी,
हर पल करूँ,माँ आरती।