माँ होती वरदान सदा / बाबा बैद्यनाथ झा
मातु स्वर्ग से सुन्दर होती,
देवी सदृश महान सदा।
माँ तो केवल माँ होती है,
ईश्वर का वरदान सदा॥
दिया जन्म पालन पोषण कर,
चलना फिरना सिखलाया।
अच्छी और बुरी बातों से,
परिचित क्रमशः करवाया।
पूजा अर्चन जप करने का,
हर विधान भी बतलाया।
सभी देवियों देवों के भी,
चरित सुनाकर दुलराया।
नहीं जानता प्रभु को मैं माँ,
तुम ही हो भगवान सदा।
माँ तो केवल माँ होती है,
ईश्वर का वरदान सदा॥
याद मुझे है सब कष्टों को,
कैसे खुद सह लेती थी।
कभी पूछता माँ से कोई,
खुश हूँ यह कह देती थी।
सब दुःखों को सहज भुलाकर,
सन्तति को खुश रखती थी।
माँ की यह कैसी मजबूरी,
निज दुख कभी न कहती थी।
बच्चों के तो सब कष्टों का,
लेती थी संज्ञान सदा।
माँ तो केवल माँ होती है,
ईश्वर का वरदान सदा॥
कभी याद में माँ को मैं जब,
हो ध्यानस्थ बुलाता हूँ।
मीठी-सी मुस्कान लिए तब,
माँ को सम्मुख पाता हूँ।
सभी समस्याओं का हल वह,
क्षण भर में बतला देती।
चक्रव्यूह से कैसे निकलूँ,
सही मार्ग दिखला देती॥
परम विदूषी माँ लगती तब,
मैं बालक नादान सदा।
माँ तो केवल माँ होती है,
ईश्वर का वरदान सदा॥