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माँ / नवल शुक्ल
Kavita Kosh से
माँ ने कभी विलाप नहीं किया
वह कभी इतनी कमज़ोर
इतनी साहसी नहीं हुई।
अच्छा हुआ यह
बहुत अच्छा
नहीं तो मैं कितना डरा होता।