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माँ / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
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माँ ! तू हमको प्राणों से भी प्यारी है !
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मीठा दूध पिलाती है
रोटी रोज़ खिलाती है
हँस-हँस पास बुलाती है
गा-गा गीत सुलाती है
दुनिया की सब चीज़ों से तू न्यारी है !
माँ ! तू हमको प्राणों से भी प्यारी है !
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कहती हर रात कहानी,
बातें अपनी पहचानी,
सुन जिनको हम खुश होते
सुख सपनों में जा सोते,
हे माँ तुझ पर सब वैभव बलिहारी है !
माँ ! तू हमको प्राणों से भी प्यारी है !