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माँ / सुनील कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
लेख थी, कविता थी
संगीत थी, गीत थी
ध्वनि थी,
प्रतिध्वनि थी,
संघर्ष थी,
गौरव थी
साहस थी, धैर्य थी
प्रेम थी, अध्यात्म थी
धरा से अनन्त की
वो अविरल यात्रा
तो कैसे लिखता?
कहाँ शुरू तो,
कहाँ शेष!
माँ थी,
वो क्या-क्या थी
संवेदनाओं में
फिर क्या कहता।