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मांगी मौत / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
जका देखी है
ठंडी’र ताती
ऊंची’र नीची
बै जाणै कांई हुवै बगत ?
राखै मिनखपणो, करै पुरसारथ
कोनी हारै आपरो मतो
बै धाकड़
पण जका बिन्यां करयां मिणत
खावै बैठा बडेरां री संच्योड़ी पूंजी
बांरी छाती जाबक काची
जे घट ज्याावै कोई अणहूणी
बै टेक दै गोडा
फिरै साच स्यूं मूंडो लकोता
पण पडसी जीणो
कांई हुवै रोयां ?
कोनी मिलै मांग्योड़ी मौत !