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मांदो मन / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
चाहीजै
खिणखिण कोई
बंधाणियो
थ्यावस
आ
धाप’र निमळाई ?
कुण है इस्यो
जकै रै कोनी
कीं अबखाई ?
पड़ै जकां नैं बपराणां
रोजीना दाणा
जे बै
लियावै इसी कायरी
किंयां चाखता
जीवण रै मधु रो
मिठास
किंयां हूंतो
सिरजण’र विकास ?