मां के आंसू / शेरी एन स्लॉटर / प्रेमचन्द गांधी
यह बहुत ही गंदी और ख़तरनाक दुनिया है
किसी भी बच्चे को जन्म देने के लिए,
फिर चाहे लड़का हो या लड़की
बिना इस बात से डरे कि कहीं उन्हें
ना चाहते हुए भी किसी गैंग में शामिल हो जाना है
या कि जीना है नशेडि़यों वाली गलियों में
बेफिक्र उस डर से जिसमें उन्हें तोड़ने हैं तमाम कानून
और इन्कार करना है किसी भी स्कूल में जाने से
और भटकना है सड़कों पर आवारा
उन ख़तरों से अंजान बनकर जो टकरा सकते हैं
जिंदगी के किसी भी मोड़ पर
बिना इस बात से डरे कि कम उम्र में ही
वे जन्म दे देंगे बच्चों को
कि विद्रोही हो जाएंगे अपनी मांओं से
उन सब डरों से डरे बिना जो कि वे हो सकते हैं
एक ऐसी सरकार जो कहती है कि
‘आइये और सेना में शामिल हो जाइये’
मांओं के आंसुओं से कब्रिस्तानों में बाढ़ आ गई है
और मैं महसूस करती हूं कि
मैं वो वह कभी नहीं चाहूंगी
जो मेरे पास अभी तक नहीं है.