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माई के अस्तुति / अमरनाथ मेहरोत्रा
Kavita Kosh से
हे मइआ! तोरा गोर लगइले
तोरे किरपा से सकति पबइले
देख∙ ई हम्मर समाज में
हिंसा के घुन लागल हए
खून-खराबा के लंझर में
ई दुनिया त∙ फँस्सल हए
तोरे नाम हम रोज जपइले
हे मइआ! तोरा गोर लगइले।
धन में माया रूप-रंग त∙
सबके मन कुंठित कएले हए
दीन्हीं जन के विनास ला
सत्ताधारी सांप बनल हए
रउअर त∙ हम राह तकइले
हे मइआ! तोरा गोर लगइले।
बिघ्न-बाधा से लरे खातिर
हमरा अप्पन भकति दीऊ
अनाचार मेटाबे खातिर
हमरा अप्पन सकति दीऊ
कील, कवच आ अरगला के
रोजे त∙ हम पाठ करइले
हे मइआ! तोरा गोर लगइले।