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माई / अष्टभुजा शुक्ल
Kavita Kosh से
घर में अकेली माई
जिसके नाम कोई चिट्ठी नहीं आई
घर लौटकर सबने पढ़ी
अपने अपने नाम की चिट्ठी
लेकिन माई से
सबने अपनी अपनी चिट्ठी की बात छिपाई
फिर भी
जब-जब ख़ुद को सच्चा साबित करने की नौबत आई
सबने माई की ही सौगन्ध खाई