भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माचिस / ऐ हवा कुछ तो बता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रचनाकार: ??                 

ऐ हवा कुछ तो बता
जानेवालों का पता
काली घटाओ तुम छू के पहाड़ों को
लौट आना
हाँ तुम लौट आना
जंगल से जाती पगड़ण्डियों पे -२
देखो तो शायद पाँव पड़े हों
कोहरे की दूधिया ठडीं गुफ़ा में
बादल पहन के शायद खड़े हों
हौले से कानों में मेरा कहा कहना
लौट आना
हाँ तुम लौट आना
रिसने लगा है झीलों का पानी
घुलने लगा है शाम का सोना
कहाँ से थामूँ रात की चादर
कहाँ से पकड़ूँ धूप का कोना
जाइयो पास उनके मेरा कहा कहना
लौट आना
हाँ तुम लौट आना