भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माटी कुदम करन्दी यार / बुल्ले शाह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

माटी कुदम करन्दी यार।
माटी जोड़ा माटी घोड़ा, माटी दा असवार।
माटी माटी नूँ दौड़ाए, माटी दा खड़कार।
माटी कुदम करन्दी यार।
माटी माटी नूँ मारन लग्गी, माटी दे हथिआर।
जिस माटी पर बहुतीमाटी, तिस माटी हंकार।
माटी कुदम करन्दी यार।
माटी बाग बगीचा माटी, माटी दी गुलज़ार।
माटी माटी नूँ वेक्खण आई, माटी दी ए बहार।
माटी कुदम करन्दी यार।
हस्स खेड मुड़ माटी पाओं पसार।
बुल्ला एह बुझारत बूझें, लाह सिरों भुँए मार।
माटी कुदम करन्दी यार।

शब्दार्थ
<references/>