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माटी मेरे देश की / प्रकाश मनु

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माँ जैसी ममता बरसाए,
माटी मेरे देश की!

याद हमें राणा सांगा की
तलवारों का पानी,
भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु
की अनमिट कुरबानी।
मन में गहरी तान उठाती
है नानक की बानी,
बुद्ध और चैतन्य महाप्रभु
की बातें कल्याणी।

इतिहासों की गूँज छिपाए,
माटी मेरे देश की!

माँ जैसा ही प्यार लुटाती
सब पर भारत माता,
इसके जर्रे-जर्रे से है
नेह-प्यार का नाता।
इसके पर्वत सुघर नगीने
नदियाँ बहता प्यार,
हेल-मेल से जीवन सबका
होता है गुलजार।

गोदी में लेकर दुलराए,
माटी मेरे देश की!

पड़ा मुसीबत में हो कोई
तो तुम आगे आना,
जिसका कोई नहीं, उसे तुम
बढ़ करके अपनाना,
कोई अगर भटक जाए तो
राह दिखाना हँसकर,
प्यार करो तो प्यार लुटाएँगे
सारे ही तुम पर।

चुपके से इतना समझाए,
माटी मेरे देश की!

स्वच्छ रहेंगे भूधर तो मन
निर्मल सदा रहेगा,
हिमगिरि से निर्मल नदियों में
जीवन बहा करेगा,
कितनी सुंदर प्रकृति, इसे हम
सुंदर और बनाएँ,
स्वस्थ रहें हम और स्वच्छता
में अव्वल बन जाएँ।

बड़े इशारों में कह जाए,
माटी मेरे देश की!