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माटी रा रंगरेज / रेंवतदान चारण

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खेत बण्या रणखेत, खेजड़ी ऊपर धजा फरूकै
धोरां ऊपर बंध्या मोरचा, ऊभी फौज उडीकै
हेलौ देवां जितरी जेज
म्है हां माटी रा रंगरेज
धरती ज्यूं चावां ज्यूं रंग दां!

अन दांतां बिच रैयौ म्हारै जनम-जनम रो बैर
पण करड़ी माटी चीर काळजौ, करदां लीली चेर
भांत-भांत रा फूल जमीं में, बेलड़ियां मिस छापां
जिण दिन रंग दां अमर चूंनड़ी, कोड न करता धापां!

जग रौ आज बिगड़ग्यौ ढंग
नड़ी-नड़ी में नाचै जंग
मन में इतरौ अजै गुमेज
हेलौ देवां जितरी जेज
म्है हां माटी रा रंगरेज
धरती ज्यूं चावां ज्यूं रंग दां!

खेत-खेत रै आडी खाई, जठै फौज रा डेरा
गळियौ रंग कसूंबौ गैरौ, भरिया सरवर बेरा
बाचै बिड़द अरट री पनड़ी, भूण गिड़गिड़ी गाजै
गोफण रा सरणाटां आगै, तोप बंदूकां लाजै!
सूड़ करता बाढ़ां मूळ
जड़ियां हेता ठूंठा-ठूळ
फूल समझनै पग मत धरजौ आ काटां री सेज!
म्है हां माटी रा रंगरेज
हेलौ देवां जितरी जेज
धरती ज्यूं चावां ज्यूं रंग दां!

मिटां मुलक रै काज मुळकता, प्रीत पुरांणी पाळां
हाथां पांणी लियौ, कदैई म्है काचौ रंग न गाळां
मन में इतरौ अजै गुमेज,
म्हांनै घणौ मौत सूं हेज!
मरदां नै मोसा मत दीजौ, मरता करां न जेज!
म्है हां माटी रा रंगरेज
हेलौ देवां जितरी जेज
धरती ज्यूं चावां ज्यूं रंग दां!