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माटी सूखी : माटी डूबी / सांवर दइया
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					माटी सूखी
बादळ सूखा
साव सूखा सावण रा स्सै रंग-राग
पाणी बिना 
मरै मिनख 
गोठां करै गिरज-काग
बिरखा री बाट जोवती आंख्यां 
      रैयगी फाटी री फाटी !
माटी डूबी
मिनख डूब्या
डूब्या सूरज-चांद
चौफेर तिरै ल्हासां 
ल्हासां नै ल्हासां ई देवै खांध
बेथाग बरसी बिरखा बाळणजोगी
बची कोनी
कोई चीज कठै ई किणी जोगी !
	
	