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माता समुन्दर की झबर सुहाणी लागऽ हो / निमाड़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

माता समुन्दर की झबर सुहाणी लागऽ हो।
माता झबर झबर रथ हिलोळा लेय,
रत्नाकर अम्बो मौरियो।
माता रथ मऽ सी राणी रनुबाई काई बोलऽ
माता कुणऽ म्हारो आणो लई जाय
माता दूर का अमुक भाई मानवी हो
माता ऊ तुम्हारो आणो लई जाय
माता सुन्दर की झबर सुहाणी लागऽ हो।।