भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मातृभूमि है एक स्त्री के लिए कोई पुरुष / वेरा पावलोवा
Kavita Kosh से
मातृभूमि है एक स्त्री के लिए
कोई पुरुष
पुरुष के लिए स्त्री
एक रास्ता है सिर्फ़
कितना रास्ता तय कर चुके तुम !
थोड़ा आराम कर लो, प्रिय !
यह रही एक छाती
टिका लो अपना सर
यह रहा एक दिल
डाल लो डेरा
बराबर-बराबर बाँट लेंगे हम
दुःख के कठोर अवशेष
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल