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मातृभूमि / मिख़अईल लेरमन्तफ़ / मदनलाल मधु

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करता हूँ मैं प्यार वतन से, पर अजीब है मेरा प्यार ।
मेरी बुद्धि, विवेक न जिससे पाए पार ।

नहीं ख्याति वह जिसकी ख़ातिर, रक्त बहाया गया अपार,
नहीं चैन गर्वीला, जिसका है विश्वास बना आधार
नहीं पुराने क़िस्से भी तो, और नहीं पावन यश-गान
जिनसे नहीं सिहरता अन्तर और न भरता सुखद उड़ान ।

पर किस कारण प्यार मुझे है, स्वयं नहीं पाता यह जान ।
इसके मैदानों की जड़ नीरवता से,
घने वनों की अन्तहीन-सी सर-सर से,
सागर जैसी उमड़ी पड़ती नदियों से;
अच्छा लगता गांव-मार्ग पर घोड़ा-गाड़ी से जाना,
रात्रि-तिमिर में धीरे-धीरे अपनी नज़र गड़ा पाना,
दाएँ-बाएँ नज़र घुमाना, कहाँ बनेगा रैन-बसेरा
वहाँ फड़कते दीप देखना, जिन गांवों में दुख का डेरा ।

जलते डण्ठल-ढेरों का तो धुआँ बहुत रुचता है मन को
और क़तारें उन छकड़ों की, जो स्तेपी में रात बिताएँ,
पके हुए पीले खेतों के बीच कहीं उस टीले पर
श्वेत भुर्ज दो खड़े हुए, जो मुझे दूर से झलक दिखाएँ ।
और ख़ुशी वह अनुभव करता, जिससे बहुत लोग अनजान
देख अन्न-पूरित खलिहान,

घास-फूस से ढँके झोंपड़े,
खिड़की-पट नक़्क़ाशी वाले,
शबनम भीगी पर्व-साँझ को,
अर्ध-रात्रि तक रहूँ देखने को तैयार,
उसी जशन को,
जहाँ एड़ियाँ, बजे सीटियाँ
और नशे में धुत्त निकट ही
शोर मचाएँ जहाँ गँवार ।

1841
 
मूल रूसी से अनुवाद : मदनलाल मधु

और अब यह कविता मूल रूसी भाषा में पढ़ें
            Михаил Лермонтов
                      Родина

Люблю отчизну я, но странною любовью!
Не победит ее рассудок мой.
Ни слава, купленная кровью,
Ни полный гордого доверия покой,
Ни темной старины заветные преданья
Не шевелят во мне отрадного мечтанья.

Но я люблю — за что, не знаю сам —
Ее степей холодное молчанье,
Ее лесов безбрежных колыханье,
Разливы рек ее, подобные морям;
Проселочным путем люблю скакать в телеге
И, взором медленным пронзая ночи тень,
Встречать по сторонам, вздыхая о ночлеге,
Дрожащие огни печальных деревень;
Люблю дымок спаленной жнивы,
В степи ночующий обоз
И на холме средь желтой нивы
Чету белеющих берез.
С отрадой, многим незнакомой,
Я вижу полное гумно,
Избу, покрытую соломой,
С резными ставнями окно;
И в праздник, вечером росистым,
Смотреть до полночи готов
На пляску с топаньем и свистом
Под говор пьяных мужичков.

1841 г.