मातेश्वरी तू धन्य है मातेश्वरी तू धन्य है / बिन्दु जी
मातेश्वरी तू धन्य है, मातेश्वरी तू धन्य है।
कहता कोई सीता तुझे कहता कोई तू शक्ति है।
कहता कोई तू है प्रकृति कहता कोई आदिशक्ति है।
तू सर्वरूपा प्रमियों के पप्राणधन की शक्ति है।
माते अमित उपकार का आनंद अनुभव जन्य है।
मातेश्वरी तू धन्य है, मातेश्वरी तू धन्य है।
तू कुटिल खलदल ले लिए है कुटिल मूर्ति करालिका।
हरिहर विमुख नर के लिए है कृत्या तू ही कालिका॥
तू प्रभु पदाश्रित जीव की प्रत्येक पल प्रतिपालिका।
तू वैष्णवी है वैष्णवों के कंठ तुलसी मालिका॥
तू ब्रह्म जीव मिलाप की सद्ग्रन्थि सुदृढ़ अनन्य है।
मातेश्वरी तू धन्य है, मातेश्वरी तू धन्य है॥
तू कर्मयोगी के लिए सत्कीर्ति परम ललाम है।
तू ज्ञानियों की समाधि शांतिपूर्ण सुखधाम है॥
तू ध्वनियों की अटल श्रद्धा मानसिक विश्राम है।
तू दामिनी से ही सुशोभित ‘बिन्दु’ तू घनश्याम है॥
तेरा उपासक जो नहीं वह जीव कुटिल जघन्य है।
मातेश्वरी तू धन्य है, मातेश्वरी तू धन्य है।