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मात मायूसियों को दी जाए / पूजा श्रीवास्तव
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मात मायूसियों को दी जाए
चलो रोशन उमीद की जाये
ढूँढ कर राह मंजिलों के लिए
ज़िंदगी को दिशा सी दी जाए
क्यूं न गम घोलकर शराबों में
नाम देकर दवा का पी जाए
आज फिर छत पे चांदनी कर दो
आज फिर ज़ुल्फ़ रात की जाए
क्या कभी तुझको यूँ नहीं लगता
खुद से थोड़ी सी बात की जाए
साँसें चुभती रहें जो सीने में
ज़िन्दगी किस तरह से जी जाए
मौत देना तो यूँ भी होता है
ज़ख्म देकर दवा न दी जाए
बेवफाई के दौर में भी क्यूं
अब भी दिल से वफाएँ की जाए
दिल तो कहता है मुझसे इक पल को
अजनबी से निबाह की जाए
बंदिशें हैं तो लाजमी लेकिन
ज़िंदगी शर्त पे न जी जाए