माथां नै ललकारै है / करणीदान बारहठ
माथां रै मोल मिली धरती, फिर माथां नै ललकारै है।
काया री आज कसौटी है, फिर काया नै चितकारै है।
धरती री कीमत भारी है,
मांग्यां स्यूं कदे मिलै कोनी।
आंख्यां में आंसू ल्याओ तो,
भोमी री भीख मिलै कोनी।
रै हाथा पसारयां मिल ज्यावै,
कोड़ी रो धान भिखारी नै।
रोणै स्यूं रातां कट ज्यावै,
जद रोटी मिलज्या हारी नै।
ईं भूमी खातर मिट ज्यावै,
मिनखां री मोटी माळावां।
जद सीस सीस स्यूं जुड़ ज्यावै,
लोही सूं भरज्या तालावां।
खांडो खांडे स्यूं टकरावै,
तोपां रो मुंह रूकै कोनी।
धरती पर लासां बिछ ज्यावै,
धरती रो धान दिखै कोनी।
शत्रु जद पीठ दिखावै है, शत्रु हिम्मत नै हारै है।
माथां रै मोल मिली धरती, फेर माथां नै ललकारै है।
ईं धरती खातर मर मिटग्या,
बै भगतसिंह सा गायड़मल।
धरती रै खातर निकल पड़या,
साथी सुभाष सा फूटरमल।
धरती खातर बैराग लियो,
गांधी सा योगी सन्यासी।
धरती रै खातर घर त्याग्यो,
नेहरू सा मोटा घरवासी।
जेलां सूं जेलां भर दीनी,
घर घर में होग्या गांधीजी।
चरखै रै खादी सूं चाली,
भारत वीरां री आंधी सी।
गोरां रा हाथ पाधरा हा,
गोरां री काया थर्रायी।
गोरां री फौजां चाल पड़ी,
माता नै बेटा अपणायी।
ईं मां रै बेटा पर ओजूं उत्तर स्यूं कुण चर्रावै है।
माथां रै मोल मिली धरती, फेर माथा ने ललकारै है।
उलझ्या हो कांट कंटीला में,
मोटोड़ी बात सुझै कोनी।
घर री राड़ां में रम्मेड़ा,
अब मां री राड़ बुझै कोनी।
दब्योड़ा कीचड़ में एहड़ा;
गोडा तक होग्या गरा पाप।
थे बात सुधारां री के सोचो,
थारी काया में भर्यो पाप।
हिम रो अब हियो पुकारै है,
गंगा रो पाणी गर्णावै है।
गांधी री पड़ी समाधी सूं,
गांधी री बाणी बर्ड़ावै।
एको कर सारा चाल पड़ो,
मां री अब शान बचावण नै।
मां री अब इज्जत खतरे में,
मां रो इतियास बचावण नै।
गंगा जमुना री धरती रो, थानै अब धर्म पुकारै है
माथां रै मोल मिली धरती, फेर माथां नै ललकारै है
कायां री आज कसौटी है, अब काया नै चितकारै है