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माथे लगी बेंदी, हाथों में लगी मेंहदी / हिन्दी लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

माथे लगी बेंदी, हाथों में लगी मेंहदी-२
प्यारी सी जच्चा सजन संग चली
मेरी सासू के अरमान पूरे हुए, और
चरुवे की घड़ी में लालन हुए
मेरी प्यारी सासू को कंगन चाहिए-२
प्यारी सी जच्चा सजन संग चली.

माथे लगी बेंदी, हाथों में लगी मेंहदी-२
प्यारी सी जच्चा सजन संग चली
मेरी जिठनी के अरमान पूरे हुए, और
पिपरी की घड़ी में लालन हुए
मेरी प्यारी जिठनी को हरवा चाहिए-२
प्यारी सी जच्चा सजन संग चली.

माथे लगी बेंदी, हाथों में लगी मेंहदी-२
प्यारी सी जच्चा सजन संग चली
मेरी ननदी के अरमान पूरे हुए, और
छठी की घड़ी में लालन हुए
मेरी प्यारी ननदी को झाला चाहिए-२
प्यारी सी जच्चा सजन संग चली.

माथे लगी बेंदी, हाथों में लगी मेंहदी-२
प्यारी सी जच्चा सजन संग चली
मेरे देवर के अरमान पूरे हुए, और
वंशी की घड़ी में लालन हुए
मेरी प्यारे देवर को घड़ियाँ चाहिए-२
प्यारी सी जच्चा सजन संग चली.

माथे लगी बेंदी, हाथों में लगी मेंहदी-२
प्यारी सी जच्चा सजन संग चली
मेरी सखियों के अरमान पूरे हुए, और
मंगल की घड़ी में लालन हुए
मेरी प्यारी सखियों को लड्डू चाहिए-२
प्यारी सी जच्चा सजन संग चली.