माध्यम / रणजीत
मैं माध्यम हूँ ।
मैं उन सबकी भटकती हुई आत्माओं का माध्यम हूँ
जो अधूरे और अतृप्त मर गए
मेरे कंठ में उनके स्वर हैं
जिन्होंने सारी ज़िन्दगी निःशब्द गुज़ार दी
मेरी क़लम में उनकी आग है
जो अपनी आग अपने दिलों में दबाए हुए ही चले गए
मेरे गीतों में उनका विद्रोह है
जिनकी गर्दनें उठने से पहले ही झुका दी गई
यह मैं नहीं उनकी आत्माएँ बोल रही हैं !
जब मैं बोलने के लिए अपना मुँह खोलता हूँ
कुछ भटकते हुए शब्द मेरे आसपास मँडराने लगते हैं
ये उस अँग्रेज़ लेखक क्रिस्टोफ़र कॉडवेल के शब्द हैं
जिसने स्पेन की आज़ादी की लड़ाई में अपनी ज़िन्दगी दे दी थी
ये पौलेण्ड के उन हजारों मूक यहूदियों के शब्द हैं
जिन्हें ज़िन्दा दफ़्नाने के लिए
ख़ुद उन्हीं के हाथों से कब्रें खुदवाई गई थीं
आसविट्ज के गैस-चेम्बरों में घुटी हुई ये लाखों आवाज़ें
अब खुले आसमान में विचर कर
लोगों के कानों तक पहुँचना चाहती हैं !
मैं माध्यम हूँ !
जब मैं लिखने के लिए अपनी क़लम उठाता हूँ
एक आग मेरी क़लम को घेर कर खड़ी हो जाती है
यह आग अल्ज़ीरिया की उस जवान विद्रोहिणी जमीला की आग है
अमानुषिक अत्याचारों के बल पर
जिससे वे सब अपराध स्वीकार कराए गए हैं
जो उसने कभी नहीं किए
यह सीक्रेट आर्मी की शिकार
उन हज़ारों अल्जीरियाई मशालों की आग है
जिनकी ज़िन्दगियाँ
फ्राँसिसी साम्राज्यवादियों की नज़रों में
बोर्ड पर लिखी हुई संख्याओं से ज्यादा क़ीमत नहीं रखतीं
यह आग चाहती है कि मैं इसे कागज़ों के पृष्ठों पर उतारता जाऊँ
और कागज़ों के पृष्ठों से वह लोगों के दिलों तक पहुँचती जाय !
मैं माध्यम हूँ
टूटी हुई आवाज़ों और दबी हुई चिन्गारियों का माध्यम !
जब मैं अपना साज़ संभालता हूँ
एक दर्द मेरे आसपास आकर जमने लगता है
यह कांगो के बेताज़ बादशाह लुमुम्बा का दर्द है
जो मेरे साज़ को उदास और मेरी आवाज़ को ग़मग़ीन बना रहा है
यह कांगो की आज़ादी के उस सिपाही का दर्द है
जिसे निहत्था करके गोली मार दी गई
और कांगो के जमे हुए ख़ून में एक उबाल भी न आया !
मैं जब अपनी पलकें उठाता हूँ
कुछ घायल और बेतरतीब सपनों को
अपने आसपास मँडराते हुए पाता हूँ
ये तेलंगाना के उस बूढ़े किसान के सपने हैं
जिसने ज़मीनों पर जोतने वालों का अधिकार चाहा था
और इसके ईनाम में जिसके हाथ पैर काट दिए गए थे
ये उन एक सौ आठ बाग़ी किसानों की पलकों के सपने हैं
जिन्होंने अपनी पकती हुई फसलों
और जवान होती हुई बेटियों को
लुटेरे हाथों से बचाने के लिए
बन्दूकें उठा लीं थीं
और जिनकी पलकें फामसी के तख़्तों पर लाकर मूँद दी गईं
ये तेलंगाना के उस नन्हें से विद्रोही गाँव की
सैकड़ों स्त्रियों और बच्चों के सपने हैं
जिसे हिन्दुस्तानी सरकार के बहादुर सिपाहियों ने
घेर कर आग लगा दी थी
ये सपने चाहते हैं
कि मैं इन्हें दुनिया के एक-एक इन्सान की पलकों तक पहुँचा दूँ !
मैं माध्यम हूँ
बेताब दर्दों और घायल सपनों का माध्यम !
जब मैं सोचना चाहता हूँ
एक भयानक पागलपन मेरे दिमाग को चारों ओर से जकड़ लेता है
यह उस अमेरिकी पायलेट का पागलपन है
जिसे हिरोशिमा पर एटम-बम गिराने का आदेश दिया गया था
और जो इस भीषण नरमेध का प्रायश्चित
अमेरिकी पाग़लखानों में कर रहा है
यह पागलपन व्याकुल है
कि मैं इसे दुनिया के हर जंगबाज़ नेता
और उसके हर वफ़ादार सिपाही के दिमाग़ तक पहुँचा दूँ ।
मैं माध्यम हूँ
और जब ये शब्द, यह आग और ये सपने मेरे आसपास मंडराते हैं
मैं अपने क्षुद्र से व्यक्तित्व को भूल जाता हूँ
और मुझे लगता है कि मैं ही वह अँग्रेज़ लेखक हूँ
अल्ज़ीरिया जमीला हूँ
मैं ही रबर की तरह जमी हुई कांगो की आत्मा को
हिलाने की कोशिश करने वाला लुमुम्बा हूँ
आग में ज़िन्दा जलती हुई स्त्रियों और बच्चों की ये दर्दनाक चीख़ें
मेरे ही भीतर से उठ रही हैं
मैं ही वह पवित्र पागलपन से आक्रांत अमेरिकी पायलेट हूँ
ये सब मेरे ही भीतर जी रहे हैं ।
मैं माध्यम हूँ !