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माना काफ़ी सुन्दर हो ,तुममें अदभुत आकर्षण है / नित्यानन्द तुषार

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माना काफ़ी सुन्दर हो, तुममें अदभुत आकर्षण है
जितना चाहे होली खेलो तुमको खुला निमंत्रण है
मेरे मन के अन्दर पावन गंगा का जल बहता है
टूट नहीं सकता जो तुमसे संयम का वो दर्पण है
जी भर कर तुम कोशिश कर लो विचलित ना कर पाओगी
तन के, मन के भावों पर भी अपना पूर्ण नियंत्रण है