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मानिको साहुनि के गर्भ में बिहला का जन्म / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा

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होरे छव तो महि नागे बिहुला मानिको गरभ छलीगे।
होरे वनिज करे चल रे दैया संखा सौदागर रे॥
होरे सामदे लागल रे बनियाँ माता कय आवे रे।
होरे भाई जे होइतो ये माता सीरीधर नाम हे॥
होरे बहिनी जे होइते ये माता बिहुला ते नाम हे।
होरे बारह बरस गे माता लंका के बनिज हे॥
होरे तेरहवां बरस गे माता घुरि घर आइहे हे।
होरे केनली के हार रे शोभे मानिला साहुनी हे॥
होरे बहिनी जे होयती गे माता केनली हार।
होरे भाई जे होयती गे माता केनली के हार रे॥
होरे यह कहि चलल रे बनियाँ बनिज करई रे।
होरे सात महीना गे मानिकों सधोरी खाएले हे॥
होरे नव तो महिना गे बिहुला जन्म जे लेले हे।
होरे बुध दिन आवे ये बिहुला जनम तोहार हे॥
होरे भइया लगोहे बिहुला बड़ी तो दुलारी हे।
होरे सातमा महीना गे बिहुला हुकरी जे देले गे॥
होरे नव तो महीना रे बासू अनमुख करावा लेगे।
होरे बाबा दुलारी गे बिहुला धुरकनियाँ खेलईगे॥
होरे पांचम बरस गे बिहुला मवोनी खेलइगे।

होरे सातम बरस बिहुला मवोनी खेलइ गे॥
होरे माई के दुलारी गे बिहुला गितवा गावए गे।
होरे भाई के दुलारी रे बिहुला घुरवा खेलइ गे॥
होरे अति रूप भेल रे दैबा बिहुला के आवे रे।

नोट: जब बाला शादी के लायक हुआ तो उसने ब्राह्मणों को याद किया। यह जानकर पांचो बहिन खुश हुई और देवी बिषहरी ब्राह्मण का रूप बनाकर उसके पास गई और बोली कि मैं उसकी अभी शादी ठीक करूंगी चाँदों ने स्वीकार कर लिया और बिषहरी सभी ब्राह्मण चल पड़ा: थोड़े दिनों के बाद लौट आया और पत्रा खोलकर बोला कि बाला के लायक कन्या नहीं मिलती है। तुम ऐसा करो कि कोहबर के लिये लोहा बांस का घर बनवाओ और फिर छवो घाटी पोखर जावो। वहाँ देश-देश की कन्या नहाने आती हैं। उनमें जिसका सत देखना उसी से बाला की शादी करना। इस प्रकार पांचों बहनों ने चांदी को बहकाया और फिर बासू सौदागर के घर पर बिहुला को उचाट हुआ और वह भी पोखर गई जहाँ चाँदो भी पहुंचा था। वहाँ बिहुला को देखकर चांदो प्रसन्न हो गया और उसके पीछे-पीछे उसके घर चला-