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मान्यौ खोटो धन / गीता त्रिपाठी
Kavita Kosh से
ठान्यौ काँचका चुरा
फुटाई फाल्यौ मेरो मन
जोखीतौली छाड्यौ किन?
मान्यौ खोटो धन
अञ्जुलीमा उठाई फुकीफुकी उडायौ
अमिलो भो माया किन दिलै कुँढायौ
चैतमासे तुवाँलोझैँ जीवन ढाकिदियौ
मेरो मुटु झिकी ढुङ्गामाथि राखिदियौ
सुन्यौ बीचका कुरा
शङ्का गर्यौ झन झन्
जोखीतौली छाड्यौ किन ?
मान्यौ खोटो धन
बाचाबन्धन तोड्यौ एक्लै बाटो पनि मोड्यौ
कुन रहरले तानिएर नयाँ प्रीति जोड्यौ
पुरानो भो मेरो तस्वीर च्याती बालिदियौ
जतनगरि राख्छु भन्थ्यौ त्यसै फालिदियौ
खोस्यौ मेरो भाग्य
अन्तै बाँड्यौ खन खन्
जोखी तौली छाड्यौ किन ?
मान्यौ खोटो धन
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