मान तिरंगे के रंगों का,
सबब नहीं है ये दंगों का
चोट नही देता बंजारा
ये है काम भले चंगों का
काट रहा मानव मानव को
काम नहीं कीट पतंगों का
ध्यान नहीं जिन्दा है उनका
मान सलीबों में टंगों का
किसका पेट भरा जो करता
पालन सब भूखे नंगों का
किसको रोकोगे तुम सोचो
आज समय केवल पंगों का
प्रीत नहीं चलती दुनिया में
चलन हुआ है बस जंगों का।