भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मापदंड / रविकान्त

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुझसे कहा गया -
'तुम्हारे पैर छोटे हैं'
जबकि
दौड़ लेता था मैं तेज

'तुम कमजोर हो'
क्योंकि
'तुमसे मजबूत लोगों की
कमी नहीं है दुनिया में '

'तुम्हारे चेहरे पर मुस्कराहट नहीं रहती
तुम बूढ़े लगते हो '

यद्यपि
उन्हें ही सुखी रखने के लिए
परेशान रहा आया हूँ मैं