माफ़िया / सुबोध सरकार / मुन्नी गुप्ता / अनिल पुष्कर
इस घोड़े का नाम है अश्विनी कुमार
धपधप सफ़ेद सिर्फ़ दो कान काले
प्रत्येक शनिवार
ये तुम्हें डेढ़ लाख रुपये लाकर देता है
लिख रखो मालिक का नाम
लिख रखो घोड़े का नाम
मालिक कलिंग से आ रहे हैं
सादा घोड़ा
लाल घोड़ा
कुछ-कुछ काला घोड़ा
हल्दी रँग का घोड़ा
सोलह पैरों के खुर का सूक्ष्म निरीक्षण करते हैं
मालिक कलिंग से लौट रहे हैं
अश्विनी के चार पैर तुम्हारे पलँग का चार पाये
तुम्हें साथ ले तुम्हारा बिछौना उड़ा जाता है
चाँद के भीतर ।
लेकिन उन्होंने लौटकर देखा
बिछौना पड़ा हुआ है
अश्विनी की कटे सिर के पास फेंकी हुई चिट्ठी
मालिक कलिंग से लौट रहे हैं
सोलह पैरों के खुर का सूक्ष्म निरीक्षण करते हैं
मालिक कलिंग से लौट रहे हैं
लेकिन उन्होंने लौटकर देखा बिछौने पर पड़ा हुआ है
उनके बड़े लड़के सुभाष का सिर,
पास में फेंकी हुई है चिट्ठी
प्रत्येक घोड़े के खुर का सूक्ष्म निरीक्षण करते हैं
मालिक कलिंग से लौट रहे हैं.
न न मालिक नहीं, मालिक का कटा सिर
घोड़े के गले में बाँधकर आज शनिवार
न जाने किसने भेज दिया है ।
लेकिन बिलकुल दूसरे रास्ते से
पहाड़ को पारकर
आज शनिवार है इसलिए
मालिक का धड़ कलकत्ता आ रहा है
इसी क्षण मैंने उन्हें
रेस के मैदान की तरफ़ जाते हुए देखा ।
मूल बाँग्ला से अनुवाद : मुन्नी गुप्ता और अनिल पुष्कर