माया मेरे हरी की, हरें हरी भगवान ।
भगत जगत में जो फँसे, करें बरी भगवान ।।
करें बरी भगवान, भाग से भगवत अपने ।
इसे दीनदयाल हरी-हर चाहिये अपने ।।
गंगादास परकास भया मोह-तिमिर मिटाया ।
संत भए आनंद ज्ञान से तर गए माया ।।
माया मेरे हरी की, हरें हरी भगवान ।
भगत जगत में जो फँसे, करें बरी भगवान ।।
करें बरी भगवान, भाग से भगवत अपने ।
इसे दीनदयाल हरी-हर चाहिये अपने ।।
गंगादास परकास भया मोह-तिमिर मिटाया ।
संत भए आनंद ज्ञान से तर गए माया ।।