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मायूस कर रहा है / अकबर इलाहाबादी
Kavita Kosh से
मायूस कर रहा है नई रोशनी का रंग
इसका न कुछ अदब है न एतबार है
तक़दीस मास्टर की न लीडर का फ़ातेहा
यानी न नूरे-दिल है, न शमये मज़ार है