भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माय आ गाम / मन्त्रेश्वर झा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

डकैतबा मेघ आकाशमे गरजय लागल फेर
घाट घाटक पीयल पानिके
बोकरय लागल ई दुर्जन मेघ
बताह जकाँ भागल फिरैए हवा
बहसल जकाँ करैए फेर जाड़
कंवल तुराइ सँ परुकाँ सालक
बौंसल ई कृतघ्न संतान
कांपय लागल लोक
हीटर लग बैसल छी हम जाड़ सैंतेत, मोन पड़ैए
मालजालक थरितर लागल गाम घरक घूर
अनूप खबासक पराती
श्राद्ध उपनयनक भोज
मोन पड़ै छथि माय
गाम के ओगरने हकमैत, कुहरैत हमर माय
जड़काला मे अवश्य बढ़ि गेल हेतनि दमा
अनुज घूरन भऽ गेल हताह फेर आक्रामक बताह
चिबा गेल हेताह बारीक सभटा भांगक पात
गाभिन गाय बिया गेल हैत अवश्य
होइत हैत संक्रान्ति, मासान्त, भदवा, अतिचारक घमर्थन
भरना, केवाला, बन्हक, महदानामाक शतरंज
फगुआ, जूड़ि शीतल, शतरंज अल्हारूदल
नारक टाल, पुआरक ढेरीक चारूकात
धीयापूताक नुक्का चोरी
चरौनिहारक अभाव मे बिसुखि गेल हैत गाय
ठिठुरि रहल हैत खुटेसलि गाय बुढ़िया
ठिठुरि रहल हैत बाछा-बाछी
जकरा पोसि के रखने छथि माय
राति के अनेरो भुकैत हैत पिल्ला-पिलिया
बारी मे फड़ैत हैत हरुसा, दाड़िम, लताम
गाममे माय छथि तऽ बचल अछि
हमरो लेल, गामक अवशेष
गाम अछि तऽ बचल छथि माय
हमर संस्कार, अस्तित्वक वैह टा छथि बचल गवाह
खाहे टुटैत हो सभ साल कमला बलानक बान्ह
अबैत हो बाढ़ि, चुबैत हो चार, बिलबिलाइत हो सांप
भोजल हो जारनि
अबैत हेताह पाहुन परक, बचल-खुचल संबंध
एखन धरि जोगओने छथि माय
डीह-डावर, भरना बटेदारीक जमीन
मरौसी संपत्ति जाहि मे
बचल अछि पुरुखाक इतिहास
अपन असह्य बीमारीकें सहैत
नुकौने, झँपने अपन व्यथा-कथा।
पढ़ौआ कमौआ सभ छोड़ि देलक गाम
छोड़ि देलक अपन धरती
बौआइत रहल ठाम-ठाम
बनेबा ले अपन फूट खोप
बनबैत रहल अपने
माटि, अपने गाम, अपने माय कें अछोप
बिसरैत गेल हर, चौकी, चास
चिनवार, कोड़ो, बाती, कादो-अछार
गामक चिट्ठीकें पढ़ैत,
फारैत मुँह विदोरि
मोन पड़ैत छथि माय, मोन पड़ैत अछि गाम
तावत चलय लगैत अछि
टी.भी.क कार्यक्रम
नोकरीक मार-काट, उठा-पटक
होइत रहैत अछि दिन राति।