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माय चली कैलाश को / निमाड़ी
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					   ♦   रचनाकार: अज्ञात
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     माय चली कैलाश को,
     आरे कोई लेवो रे मनाय
(१)  पयलो संदेशो उनकी छोरी न क दिजो
     आरे दूजा गाँव का लोग....
     माय चली...
(२)  तिसरो संदेशो उनका छोरा न क दिजो
     चवथो साजन को लोग....
     माय चली...
(३)  हरा निला वास को डोलो सजावो
     उड़े अबिर गुलाल....
     माय चली...
(४)  कुटुंब कबिलो सब रोई रोई मनाव
     आरे मुख मोड़ी चली माय....
     माय चली...
(५)  बारह बोरी की उनकी पंगत देवो
     आरे उनकी होय जय जयकार
     माय चली...
	
	