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मारबो फेर रोवन नइ दन / समरथ गवइंहा

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मारबो फेर रोवन नइ दन
तुमन सुख पाबो कहथ कमजोरहा
बुद्धि एको रच नइये परे हव भोरहा
तिजोरी के कुंजी तूं हमला देहे हव
तुंहर सुख ल होवन नइ दन
मारबो फेर ....

बिन पूछे तुंहला सुनावत हन हाल
रेडियो इसटेसन ला करब थोरक खियाल
का खरचा करे कतके खरचा करे
हिसाब म हम गलती होवन नइ दन
मारबो फेर ....
रहिस खरचा के इमानदारी
तो रसीद मन साखी हवय पारी के पारी
येक बात हय बड़े अफसर बड़े सेठ
इ मन के गवाही होवन नइ दन
मारबो फेर

कुंची जाय के जब बेला आही
दुख ल सुने के तब सुरता आही
छाती पीट के कबो मय दुख दूर करिंहव
तुंहला अबिसवास होवन नइ दन
मारबो फेर

किसे नइ फसीहब जाल फेंके जाही
चारो कोती से जब छेंके जाही
अरे खाना के संग मा पीना घलों देबो
कनिहा खोचा कम होबन नइ दन
मारबो फेर रोवन नइ दन