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मारो ठोकर दया कर, नाव मेरी हो पार / गंगादास

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मारो ठोकर दया कर, नाव मेरी हो पार ।
और कोई सुनता नहीं, कब का रहा पुकार ।।

कब का रहा पुकार नाव चक्कर ले रही है ।
बार-बार परचंड पवन झोंके दे रही है ।।

गंगादास कह दीन जानके पार उतारो ।
खेवटिया हैं आप दयाकर ठोकर मारो ।।