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मारो मारो स्र्पनी निरमल जल पैठी / गोरखनाथ
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मारो मारो स्र्पनी निरमल जल पैठी ।
त्रिभुवन डसती गोरषनाथ दीठी ।।
मारो स्र्पनी जगाईल्यो भौरा,
जिनि मारी स्र्पनी ताको कहा करे जोंरा ।
स्र्पनी कहे मैं अबला बलिया,
ब्रह्म विष्ण महादेव छलिया ।
माती माती स्र्पनी दसों दिसि धावे,
गोरखनाथ गारडी पवन वेगि ल्यावे ।
आदिनाथ नाती मछिन्द्रनाथ पूता,
स्र्पनी मारिले गोरष अवधूता ।।