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मार्क्स का सम्मान / ईमान मर्सल
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चमचमाती हुई दुकानें
जहां नई-नई चड्ढियों की बहार आई है
उनके सामने खड़ी हो
मैं ख़ुद को रोक नहीं पाती
मार्क्स के बारे में सोचने से
जितने भी लोगों ने मुझसे प्रेम किया
उनके बीच एक चीज़ साझा थी-
वे सब मार्क्स का सम्मान करते थे
और मैंने उन सबको इजाज़त दी, किसी को कम किसी को ज़्यादा,
कपास की उस गुडिय़ा को नोंचने की
जो मेरी देह में छिपी है
मार्क्स
कार्ल मार्क्स
मैं उसे कभी माफ़ नहीं करूंगी
अंग्रेजी से अनुवाद : गीत चतुर्वेदी