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मार्गदर्शन / महेश रामजियावन

एक जुलूस की अगवाही करते-करते
आज मैं गूंगा हो गया हूँ

मेरी नाकामी पर
मेरे हमदर्दियों की संख्या
धीरे-धीरे फिसलती गई
मेरी झोंपड़ी के सामने वाली
नीम के पेड़ पर
बच गया है
बुलबुल का एक खोंता
जिसमें पेड़ हैं दो अण्डे

तन्हा-तन्हा
बुल और बुलबुल को
पड़ोस के नटखट लड़के ने
गुलेल से मार डाला

अच्छा उन चिड़ों को
दाने के लिये
दर-दर भटकना पड़ता द्वार-द्वार !

या बहिलिये के जाल में
या किसी पिंजड़े में फंस जाना होता !