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माहवारी की प्रशंसा में कविता / ल्युसिल क्लिफ़टन / सुजाता

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अगर कोई नदी हो
इससे भी ज़्यादा खूबसूरत
रक्ताभ किनारों की तरह
चान्द के अगर

कोई नदी हो
इससे ज़्यादा वफ़ादार
हर महीने लौटने वाली
अपने डेल्टा की ओर अगर हो

कोई एक नदी
बहादुर इससे ज़्यादा
उमड़ती और उमड़ती आती आवेग में
दर्द में अगर हो


एक नदी
पुरातन
इस हव्वा की बेटी
केन और एबल की माँ
से ज़्यादा अगर हो इसमें

इस ब्रह्माण्ड में ऐसी नदी अगर
कोई पानी हो शक्तिशाली
इस जँगली पानी से ज़्यादा
तो प्रार्थना करना
कि बहता रहे यूँ ही जीव-जगत में
सुन्दर और वफ़ादार और सनातन
और मादा और बहादुर

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुजाता