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मा बाप का ख्याल छोड़ दे भाई रै / मेहर सिंह

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वार्ता- सज्जनों वक्त फिर करवट बदलता है राजा अम्ब सरवर को दरिया के दूसरे किनारे पर छोड़कर नीर को लेने आता है तो दरिया में बह जाता है। एक किनारे पर सरवर और दूसरे किनारे पर नीर खड़े रह जाते हैं। नीर छोटा था वह रुदन करने लगता है तो सरवर उसे समझाता हुआ क्या कहता है-

मां बाप का ख्याल छोड़ दे भाई रै।टेक

जिन्है सच्चा हर टेरया ना
उन का मिट्या शरीर का अन्धेरा ना
बेरा ना किसे नै काल का या मृत्यु सबकी आई रै।

ये दुःख जाते ना सहे
जीव किसे फन्दे बीच फहे
म्हारे वे रहे ना सरवर ताल जड़ै तरती मुरगाई रै।

तेरे चेहरे का नूर झड़या
पाच्छला करतब आण अड़या
पड़या सै तृष्णा का जाल कर्म मैं नहीं भलाई रै।

म्हारी करणी मैं पड़ग्या भंग
न्यू बिगडग्या काया का ढंग
मेहर सिंह सोच समझ कै चाल सुरग की सीधी राही रै।