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मा रिसाणी है / राजूराम बिजारणियां
Kavita Kosh से
सोवता हुवैला
भलै‘ई कोई
रीस में होय‘र आंटा
ऊंधो मांचौ ढाळ
कोप भवण में।
जिण दिन
भखावटै सूं
अधरात ताणीं
बिना बिसूणी मारयां
करै खोरस्यो
घर रो.!
म्हे जाण जावां
आज म्हारी मा
रीसाणी है.!